Monday, October 08, 2018

दोषों की वृद्धि करने वाले स्वाभाविक कारण


दोषों की वृद्धि करने वाले स्वाभाविक कारण
प्रकोपक हेतु
कफ की वृद्धि
पित्त की वृद्धि
वात की वृद्धि
1
अवस्था
बाल्यावस्था
युवावस्था
वृद्धावस्था
2
ऋतु
वसंत
शरद
वर्षा
3
दिन के प्रहर
प्रातःकाल
मध्याह्नकाल
सायंकाल
4
रात्रि के प्रहर
रात्रि का प्रथम प्रहर
मध्यरात्रि
रात्रि का अंतिम प्रहर
5
भोजनकाल
भोजन के तुरंत बाद
भोजन का पचनकाल
भोजन पचने के बाद
भोजन सुबह-शाम करना चाहिए। इसके बीच में अन्नसेवन नहीं करना चाहिए। बीच में भूख लगने पर दूध अथवा फल का सेवन कर सकते हैं।
शीत ऋतु में प्रथम पहर के बाद (सूर्योदय के तीन घंटे बाद) व अन्य ऋतुओं में द्वितीय प्रहर के बाद अर्थात् मध्याह्न काल में भोजन करना हितावह है।

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पौष्टिक आहार

 :- Amla, Til, Khajur, Kaju, Badam, Kismis, adarak, Saunth, Ajwan, Laung, Kalimirch, ilaichi, Nimbu, Rai, Sahad, Lahasun, Methi, Moong Dal, Tomato, Alovera, GroundNut, Angeer, Gud


प्रोटीन युक्‍त आहार खाएं
 प्रोटीन खाने से मसल्‍स दुबारा बनने शुरु हो जाते हैं और त्‍वचा का लचीलापन वापस आ जाता है। अपने आहार में दालें, बींस आदि शामिल करें।

कच्‍चे फल और सब्‍जियां खाएं अपनी डाइट में ढेर सारे फल और सब्‍जियां शामिल करें क्‍योंकि इनमें विटामिन्‍स और मिनलल्‍स होते हैं जो स्‍किन को टाइट बनाते हैं।

कच्‍चे फल और सब्‍जियां खाएं अपनी डाइट में ढेर सारे फल और सब्‍जियां शामिल करें क्‍योंकि इनमें विटामिन्‍स और मिनलल्‍स होते हैं जो स्‍किन को टाइट बनाते हैं।


बादाम तेल बादाम तेल से स्‍किन में नमी रहती है। यह स्‍किन को टाइट करता है और स्‍ट्रेच मार्क से छुटकारा दिलाता है। अपनी त्‍वचा की रोज बादाम के तेल से मालिश करें और फरक देखें।


कैस्‍टर ऑइल थोड़े से कैस्‍टर ऑइल में नींबू और लेवेंडर की कुछ बूंदे डाल कर रात में सोते समय त्‍वचा पर मालिश करें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से त्‍वचा टाइट हो जाएगी।
दांत की सफाई में लापरवाही और ज्‍यादा मीठा खाने की वजह से ये कैविटी समस्‍या होती हैं। यदि दांतों में कैव‍िटी हो गई है तो कुछ घरेलू नुस्खे इसमें रामबाण की तरह काम करेंगे। 
नीम से दातुन करें
लौंग के तेल का यूज
लहसुन
नमक के पानी से कुल्‍ला
हल्‍दी से ब्रश करें

Thursday, March 08, 2018

श्रेष्ठ

श्रेष्ठ दिन : दिन और रात में दिन श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ मुहूर्त : दिन-रात के 30 मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त ही श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ वार : सात वारों में रवि, मंगल और गुरु श्रेष्ठ है।
चौघड़िया : शुभ चौघड़िया श्रेष्ठ है जिसका स्वामी गुरु है। अमृत का चंद्रमा और लाभ का बुध है।
श्रेष्ठ पक्ष : कृष्ण और शुक्ल पक्षों के दो मास में शुक्ल पक्ष श्रेष्ठ है।श्रेष्ठ एकादशी : प्रत्येक वर्ष चौबीस और अधिकमास हो तो 26 एकादशियां होती हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशियों को श्रेष्ठ माना है। उनमें भी इसमें कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ माह : मासों में चैत्र, वैशाख, कार्तिक, ज्येष्ठ, श्रावण, अश्विनी, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन श्रेष्ठ माने गए हैं उनमें भी चैत्र और कार्तिक सर्वश्रेष्ठ है।श्रेष्ठ पंचमी : प्रत्येक माह में पंचमी आती है उसमें माघ माह के शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ अयन : दक्षिणायन और उत्तरायण मिलाकर एक वर्ष माना गया है। इसमें उत्तरायण श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ संक्रांति : सूर्य की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति ही श्रेष्ठ है।
श्रेष्ठ ऋ‍तु : छह ऋतुओं में वसंत और शरद ऋतु ही श्रेष्ठ है।श्रेष्ठ नक्षत्र : नक्षत्र 27 होते हैं उनमें कार्तिक मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ है। इसके अलावा अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती नक्षत्र शुभ माने गए हैं।