कोलेस्ट्रॉल एक तरह का फैट होता है, जिसका उत्पादन लिवर करता है और यह शरीर के कई फंक्शन के लिए आवश्यक है। इसके दो प्रमुख प्रकार होते हैं, गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल।
बैड कोलेस्ट्रॉल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल फायदेमंद। लेकिन कोलेस्ट्रॉल का लेवल में होना आवश्यक है, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हार्ट के लिए खतरे की घंटी होता है।
कोलेस्ट्रॉल, लीवर द्वारा निर्मित वसा जैसा पदार्थ होता है, जो पाचन, विटामिन डी,कोशिका झिल्ली और कुछ हार्मोन के गठन के लिए जरूरी होता है। कोलेस्ट्रॉल घुलनशील नहीं होता , इसलिए यह स्वयं दूसरे अंगो तक नहीं पहुंच सकता है। इसके लिए लिपोप्रोटीन्स नामक कण की जरूरत होती है जो कोलेस्ट्रॉल को ब्लड के माध्यम से दूसरे अंगो तक पहुंचाने में मदद करता है। लिपोप्रोटीन दो तरह के होते हैं:-
1. लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL)
लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को खराब कोलेस्ट्रोल भी कहा जाता है। यह धमनियों में जमा हो सकता है और इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है, जैसे- स्ट्रोक, हार्ट अटैक इत्यादि।
2. हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL)
हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को लिवर में वापस लौटाने में मदद करता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल हटाया जा सके।
कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए?
सामान्यत:
- आम लोगों के लिए, कुल कोलेस्ट्रॉल 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिग्राम/डीएल) से कम होना चाहिए।
- एचडीएल (HDL) लेवल 40 मिग्राम/डीएल से कम नहीं होना चाहिए।
- लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) 100 मिग्राम/डीएल से कम होना चाहिए।
- ट्रिग्लिसराइड्स 150 मिग्राम/डीएल से कम होना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल को हार्ट का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। पिछले कुछ सालों में हार्ट के मामले काफी तेजी से बढ़ें हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हृदय रोग दुनियाभर में मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। आपको बतादें कि हाई कोलेस्ट्रॉल आपके हृदय की ज्यादातर बीमारीयों का मुख्य कारण बनता है।
कम डाइट से कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होता क्योंकि 20% कोलेस्ट्रॉल डाइट से आता है, जबकि 80 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल लिवर बनाता है।
ज़्यादा पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल होगा कंट्रोल (Drinking more water will control cholesterol) पानी एक तरह का डिटॉक्सिफाइंग एजेंट है जो शरीर को डिटॉक्स करता है। जिसमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड की मात्रा कंट्रोल में रहती है। डिहाइड्रेशन की वजह से लिवर खून में अधिक कोलेस्ट्रॉल बनने के लिए प्रेरित होता है।
‘जल ही जीवन’ यूँ ही नहीं कहा गया है। हमारे शरीर का 70 प्रतिशत पानी से बना हुआ है इसलिए हेल्दी रहने के लिए सही मात्रा में पानी पीना बेहद ज़रूरी है। कम पानी पीना कोलेस्ट्रॉल लेवल को प्रभावित करता है। जब आप पानी कम पीते है तो नसों में जमी गंदगी चिपकी ही रहती है जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ता है और दिल से जुड़ी बीमारियों की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
ज़्याद पानी पीने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।आपकी बॉडी डिटॉक्स होती है और ये ऑक्सीजन के सर्कुलेशन को भी तेज करता है। दिनभर में 3 से 4 लीटर पानी पीने से हाई बीपी और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से आपका बचाव होता है और दिल की सेहत दुरुस्त रहती है। आप दिल के मरीज हों चाहे न हों दिनभर में कम से कम 1.5 से 2 लीटर तक पानी तो पीना ही चाहिए।
शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने पर उसके लक्षण नजर आने लगते हैं और जिसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हमेशा खतरनाक होता है। इसके इलाज के लिए जरूरी है कि पहले आप इसके लक्षणों को पहचानें।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार अगर कोई भी काम करते आपको जल्दी थकान महसूस होने लगती है, तो यह सामान्य नहीं है। खासतौर पर थोड़ी दूर चलते ही थकान महसूस होती है या सांस फूलने लगती है। अगर ऐसा है, तो यह आपके शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल का भी लक्षण हो सकता है। तो ऐसे में आपको अपने कोलेस्ट्रॉल का लेवल जरूर चेक करवाना चाहिए।
जब खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक बढ़ जाती है ,तो शरीर में मौजूद रक्त वाहिकाओं में बाधा उत्पन्न होने लगता है और वे ब्लॉक होने लगते हैं। ऐसे लोगों को अक्सर हाथ और पैरों में झनझनाहट या करंट जैसा महसूस होता है। कुछ लोगों को साथ में दर्द भी महसूस होता है। ऐसा तब होता है, जब आपके शरीर की पेरिफेरल नसों में पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर खून नहीं पहुंच पाता है।
कई बार एक्सरसाइज के बाद या सीढ़ियां चढ़ने-उतरने के बाद या कोई भारी फिजिकल ऐक्टिविटी करने के बाद आपके दिल की धड़कन तेज हो जाती है। तो आपको एक बार अपना कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण में सबसे आम है असामान्य हृदय गति का अनदेखा नहीं करना चाहिए। जिसकी वजह से हार्ट अटैक या दूसरी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
वैसे पसीना आना आम बात है, लेकिन बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के जरूरत से ज्यादा पसीना आने लगता है, तो यह भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल में बढ़ने का संकेत हो सकता है। अधिक पसीना आने को सामान्य समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तुरंत अपने कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण क्या है?
वैसे तो कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कोई लक्षण नहीं होते है, ब्लकी यह अन्य दूसरी बीमारियों के लिए जोखिम कारक होता है। फिर भी शरीरिक स्थिति में कुछ बदलाव कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की ओर संकेत कर सकते हैं।
त्वचा के रंग में बदलाव
यदि आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल हाई है तो आपके त्वचा के रंगों में बदलाव हो सकता है। ऐसे में हाथ-पैर के रंग पीले दिखाई दे सकते हैं।
- -एक्सरसाइज करने या ज्यादा न खाने के बावजूद भी लगातार वजन बढ़ना हाई कोलेस्ट्रॉल का ही संकेत है।
- -अगर थोड़ा-सा चलने पर भी सांस फूलने लगती है।
- -सामान्य रूप से बॉडी में अधिक थकान महसूस होना भी इस बात का संकेत है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है। ऐसे में बिना देरी किए तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
- -जरूरत से ज्यादा पसीना आना या बहुत अधिक गर्मी लगने को नजरअंदाज न करें।
- -बिना ज्यादा भागदौड़ या कोई और काम किए आपके पैरों में लगातार दर्द रहना।
- -रोजाना सिरदर्द या मस्तिष्क में दर्द रहता है।
- -अगर ब्लड प्रेशर अधिक रहने लगे।
- -सीने में किसी भी प्रकार की असहजता हो या बेचैनी सी महसूस होने लगे।
- -दिल जोर-जोर से धड़कने पर भी आपको तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल कम होने के नुकसान क्या है?
आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना जितना खतरनाक होता है, उतना ही कोलेस्ट्रॉल का नॉर्मल से कम होना भी नुकसानदायक हो सकता है। शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए एडीएल कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है, लेकिन कोलेस्ट्रॉल का आवश्यकता से कम होना भी शरीर के लिए खराब होता है। वैसे तो कोलेस्ट्रॉल का कम होना शरीर के लिए अच्छा होता है लेकिन जब यह अपने सामान्य लेवल से कम होता है तो शरीर में खून का संचार सही से नहीं हो पाता है, जिससे कई गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती है। इससे सूजन, कुपोषण और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल कम होने के लक्षण क्या है?
यहा आप कोलेस्ट्रॉले कम होने के लक्षण देख सकते हैं:-
- तनाव
- दृष्टी हानी
- वजन कम होना
- फैटी स्टूल
- बच्चों में बौद्धिक क्षमता का विकास कम होना
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण क्या है?
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण निम्नलिखित है:-
- असंतुलित आहार का सेवन
- वंशानुगत कारण
- तनाव रहना
- शराब का सेवन करना
कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना होना चाहिए?
एक स्वस्थ शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल का लेवल संतुलित होना आवश्यक है, क्योंकि कोलेस्ट्रॉल लेवल ज्यादा होने के साथ सामान्य से कम कोलेस्ट्रॉल भी नुकसानदायक होता है। आइए जानते हैं, हेल्दी शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए।
- शरीर के लिपिड प्रोफाइल टेस्ट से कोलेस्ट्रॉल की जांच की जाती है।
- अगर आपका LDL यानि लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन या बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल 100 से कम है तो आप परेशानी से बाहर है।
- अगर आपको ह्रदय संबंधी बीमारी है और आपका कोलेस्ट्रॉल का स्तर 100 से लेकर 129 mg/dL है तो ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
- अगर आप सामान्य तौर पर ठीक हौ और किसी तरह की कोई बीमारी नहीं हैं और आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल 100 से लेकर 129 mg/dL है तो ये आपके लिए अच्छा है।
- यदि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल 130 से 159 mg/dL के बीच आता है तो इसे हाई और बॉर्डरलाइन वाला माना जाता है।
- यदि किसी के कोलेस्ट्रॉल का स्तर 160 से 189 mg/dL के बीच है तो ये हाई और खतरनाक माना जाता है।
- यदि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल 190 से ज्यादा है, तो इसे बहुत ज्यादा हाई रिस्क वाला माना जाता है जो की सेहत के लिए खतरनाक है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख हैं:
खानपान: अधिक तेलीय और मसालेदार भोजन, अधिक तेल और गर्म तेलों का उपयोग, और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है।
व्यायाम की कमी: नियमित शारीरिक गतिविधि की कमी कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ा सकती है।
वजन: अत्यधिक वजन या मोटापा भी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है।
धुम्रपान: धूम्रपान करने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।
अतिरिक्त अल्कोहल: अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन भी कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकता है।
उम्र: उम्र बढ़ने पर भी कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ सकता है।
चावल कोलेस्ट्रॉल लेवल पर प्रभाव डालता है।
चॉकलेट खाते हैं, तो आप अपने दिल के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ज्यादा मात्रा में चीनी और फैट आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को काफी हद तक बढ़ा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज क्या है?
हाई कोलेस्ट्रॉल सभी लोगों के लिए नुकसानदायक होता है। यह कई गंभीर बीमारियों को निमंत्रण दे सकता है, आइए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें और कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू इलाजों के बारे में:-
गरम पानी पीना चाहिए और प्राणायाम करना चाहिए
- लौकी का जूस नियमित रूप से पिएं.
- पश्चिमोत्तानासन खराब कोलेस्ट्रॉल को जड़ से खत्म कर सकता है।
- खाने में हरी सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट्स, सलाद, छाछ आदि को शामिल करें.
- दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स, पाचन को बेहतर बनाते हैं और सूजन को कम करते हैं.
- दही में मौजूद विटामिन सी, ट्राइग्लिसराइड्स, फ़ास्टिंग ग्लूकोज़, और इंसुलिन को नियंत्रित करता है.
- दही में मौजूद पोषक तत्व, हड्डियों को मज़बूत बनाते हैं.
- दही में मौजूद पोषक तत्व, दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करते हैं.
लहसुन
यदि आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ रही है, तो आप इसे कम करने के लिए लहसुन का सेवन कर सकते हैं। नियमित रूप से सुबह-शाम लहसुन का सेवन आपके कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है। लहसुन में कोलेस्ट्रोल को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं।
लहसुन में कुछ ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15 प्रतिशत तक घट सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है। अगर कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपायों की बात की जाए तो रोजाना लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सबसे अच्छा घरेलू इलाज है।
लहसुन और प्याज यह चीजें हाई कोलेस्ट्रॉल को रोकने में सहायक है। लहसुन में एलिसिन होता है, जो कोलेस्ट्रॉल कम करता है जबकि प्याज में क्वेरसेटिन होता है, जो इस गंदे पदार्थ का सफाया करता है।
नींबू
नींबू जो कि वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में बहुत प्रभावी होता है। यदि आप भी कोलेस्ट्रॉल को कम करना चाहते हैं तो रोजाना सुबह में खाली पेट नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। इससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल तेजी से कम होता है।
कोलेस्टॉल को करे नियंत्रण विटामिन सी
जितने भी विटामिन-सी और साइट्रिक एसिड युक्त फल हैं वह सभी कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं जैसे- आँवला, अनार, नींबू, संतरा, मौसंबी आदि जो भी इस प्रकार के खट्टे अर्थात साइट्रिक एसिड युक्त फल और सब्जी हैं वह सभी आपके लिए अच्छे हैं। कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण के लिए इन फलों का नियमित सेवन करें।
मेथी
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए मेथी को भी उपयोगी माना जाता है। इसमें मौजूद गुण आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करते हैं। साथ ही यह आपके वेट लॉस में भी फायदेमंद है। इसके लिए आप नियमित रूप से मेथी के पानी का सेवन कर सकते हैं।
- मेथी के बीज पोटैशियम, आयरन, जिंक, कैल्शियम, और अन्य पोषक तत्वों से भरे होते हैं. एक चम्मच मेथी पाउडर को गर्म पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करें.
सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटिड फैट और पॉली अनसैचुरेटिड फैटी एसिड भी बहुत उच्च मात्रा में पाया जाता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक होते है। अगर आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो हमेशा सरसों के तेल का ही इस्तेमाल करें।
सरसों के तेल में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नहीं होता है । इसके बजाय, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत होने के कारण, सरसों का तेल रक्तचाप को कम करता है, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाता है, और धमनी पट्टिका और सूजन को कम करता है।
भारत में बड़े स्तर पर कुकिंग ऑयल के रूप में उपयोग किए जाने वाले सरसों तेल पर अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कई देशों में बैन लगा है. इन देशों का मानना है कि सरसों के तेल का कुकिंग ऑयल के रूप में उपयोग दिल की सेहत (Mustard oil and heart health) के लिए अच्छा नहीं होता है
रिसर्च के अनुसार सरसों तेल में मौजूद मोनो सैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है, इसलिए सरसों तेल की थोड़ी मात्रा सेहत के लिए अच्छी मानी गई है. इसके साथ ही सरसों तेल में एरोसिक एसिड भी होता है. भारत में तैयार होने वाले सरसों तेल में इसे कम रखा जाता है, लेकिन अमेरिका, कनाडा और यूरोप के देशों में इसके सेवन को अच्छा नहीं माना जाता है. रिसर्च के अनुसार एरोसिक एसिड हार्ट हेल्थ के लिए हानिकारक होते हैं. इसलिए उन देशों में सरसो तेल पर बैन है. भारत में सरसों तेल को हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन इसका सीमित मात्रा में उपयोग ही सेहत के लिए अच्छा होता है.
National Institutes of Health (ncbi) के अनुसार सरसों का तेल बिल्कुल भी दिल के लिए सही नहीं माना गया है. दरअसल, इसकी अधिक मात्रा आपके दिल को बीमार कर सकती है.
सरसों का तेल कितना फायदेमंद
सरसों के तेल में मौजूद गुण शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. सरसों के तेल में प्रोटीन, मिनरल्स, कॉर्ब्स, कैलोरी, विटामिन ए और विटामिन सी पाया जाता है. इतना ही नहीं सरसों के तेल में ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन ई और ओमेगा 5 फैटी एसिड भी पाया जाता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि सरसों के तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.
कोलेस्ट्रॉल में फायदेमंद सोयाबीन
सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में लिवर की मदद करते हैं। ये चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं।
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण करने में सहायक ऑलिव ऑयल
इसमें मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्थिर रखने में सहायक होता है। यह ऑर्टरी की दीवारों को मजबूत बनाता है। इससे हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। यह हाई ब्लडप्रेशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखता है। रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर छह सप्ताह तक लगातार ऑलिव ऑयल में बना खाना खाया जाये तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 8 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
मक्खन का स्वाद लाजवाब होता है लेकिन दुख की बात है कि मक्खन सैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है, जो दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल को काबू रखने के लिए डाइट में इसके बजाय ओलिव ऑयल का इस्तेमाल करें क्योंकि इसमें हेल्दी फैट होता है।
घुलनशील फाइब
जौ, ओट और दानेदार अनाज जिसमें घुलनशील फाइबर मौजूद होता है, उसके सेवन से शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसलिए अपने आहार में कम से कम 20 ग्राम घुलनशील फाइबर की मात्रा को जरूर शामिल करें।
आपको अपने नाश्ते में ओट्स या दलिया जैसी चीजों का सेवन करना चाहिए। ओट्स के एक कटोरे से आपको 1 से 2 ग्राम घुलनशील फाइबर मिलता है। ऐसा माना जाता है की फाइबर से भरपूर चीजों के सेवन से कोलेस्ट्रॉल जल्दी कम होता है।
ओट्स में मौजूद बीटा ग्लूकॉन नामक गाढ़ा चिपचिपा तत्व हमारी आंतों की सफाई करते हुए कब्ज की समस्या दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीने तक नियमित रूप से ओट्स का सेवन किया जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 5 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
जौ और जई जैसे साबुत अनाज हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। इनमें घुलनशील फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
फलियां कई तरह की होती हैं जिसमें राजमा, सेम, मटर ब्लैक बीन्स आदि। इन सभी में घुलनशील फाइबर की मात्रा अधिक होती है। यह पेट को भरा रखती हैं।
कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को अपने खाने में बैंगन और भिंडी जैसी सब्जियों को जरूरी शामिल करना चाहिए। इन सब्जियों में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है जबकि घुलनशील फाइबर अच्छी मात्रा में होते हैं।
कोलेस्ट्रॉल में लाभकारी अलसी के बीज
अलसी के बीज भी बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत लाभदायक होते है। आप अलसी के बीजों का सेवन करें, या फिर अलसी के बीजों का पाउडर बनाकर रोजाना इसका सेवन करें।
अलसी का थोड़ा पाउडर लेकर उसे एक गिलास छाछ में मिला लें। इसे अच्छी प्रकार से मिलाने के बाद इसका सेवन करें। अलसी को आप अपने सब्जी में भी इस्तेमाल करें।
कोलेस्ट्रॉल के इलाज में फायदेमंद आंवला
रोजाना सुबह खाली पेट, एक चम्मच आँवला के रस में एक चम्मच एलोवेरा का रस मिलाकर इसका नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाया जा सकता है। आँवला में विटामिन-सी और साइट्रिक एसिड उच्च मात्रा में पाया जाता है जो कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने और नियंत्रण में बहुत महत्वपूर्ण है।
हल्दी और करीपत्ते
भोजन बनाते समय हल्दी और करी पत्ते का जरूर प्रयोग करें। इसमें कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं।
हल्दी वाला दूध- हल्दी वाला दूध पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। इससे हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। हल्दी में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं।
हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में सहायक हैं। इधर काली मिर्च में पिपेरिन होता है, यह एक ऐसा यौगिक है, जो कोलेस्ट्रॉल का इलाज कर सकता है।
काला चना अक्सर ही घरों में सब्जी के रूप में खाया जाता है। काले चने में विटामिन-ए,बी.सी,डी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल उच्च रहता है उन्हें काले चनों का सेवन करना चाहिए। रात को एक मुट्टी काले चने पानी में भिगोकर छोड़ दें और सुबह इन चनों को खाली पेट खाएं। साथ ही जिस पानी में चने भिगोये थे उसे फेंकें नहीं बल्कि उस पानी को भी पियें। इसके अलावा भूने चने खाना भी आपके लिए लाभदायक है।
बादाम, अखरोट, मूंगफली जैसे नट्स खाना दिल के लिए अच्छा होता है। एक दिन में 2 औंस नट्स खाने से एलडीएल को 5% तक कम करने में मदद मिलती है। नट्स में वो सभी पोषक तत्व होते हैं, जो दिल को स्वस्थ रखते हैं। इनके अलावा आपको अपनी डाइट में सोयाबीन, फाइबर सप्लीमेंट, सेब और अंगूर जैसे खट्टे फल,और केला , सूरजमुखी और केनोला जैसे वेजिटेबल ऑयल आदि चीजों का सेवन करें।
रात को पानी में 10 से 12 किशमिश और 6 से 7 बादाम भिगो कर रख दें। सुबह खाली पेट बादाम और किशमिश का सेवन करें इससे भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कोलेस्ट्रॉल के मरीज इनका नियमित सेवन करें, ध्यान रहे कि अगर आपको शुगर है तो किशमिश का सेवन ना करें।
अखरोट एनर्जी का भंडार है। रोजाना चार अखरोट खाने से हमारे शरीर को तुरन्त एनर्जी मिलती है साथ ही इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, ओमेगा-3, फाइबर, कॉपर और फॉस्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। रोजाना सुबह चार अखरोट खाने से रक्तवाहनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल पिघलने लगता है और यह आपके बैड कोलेस्ट्रॉल को वापस यकृत तक भेजने में बहुत मददगार होता है इसलिए रोजाना चार अखरोट खाने की आदत डालिये।
कोलेस्ट्रॉल में लाभकारी अर्जुन की छाल
अर्जुन के पेड़ की छाल को कई प्रकार के रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। अर्जुन की छाल आपको किराने की दुकान पर बाजार में आसानी से मिल जाएगी।
थोड़ी सी अर्जुन की छाल लेकर उसे एक गिलास पानी में डालें और इस पानी को गर्म करें। इसे तब तक गर्म करें, जब तक यह पानी उबलकर आधा न रह जाए। अब इसको ठंडा होने दें, ठंडा होने पर इस काढ़े को चाय की तरह पियें, यह कोलेस्ट्रॉल कम करने का एक कारगर घरेलू उपाय है।
- चाय और कॉफ़ी की बजाय हर्बल चाय और कॉफ़ी का सेवन करें।
- अतिरिक्त शहद का सेवन करें: शहद में अनेक गुण होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं।
क्या गुड़ खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है?
सीमित मात्रा में गुड़ खाने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में अधिक वृद्धि होने की संभावना नहीं है, क्योंकि इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत कम होती है। हालांकि, इसके अत्यधिक सेवन से वजन बढ़ सकता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए सुबह क्या खाना चाहिए?
सुबह का नाश्ता कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। नाशते में निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल करें -
- ओट्स
- दही
- फल और मेवे
If your cholesterol results are abnormal, you may also have other tests such as:
High cholesterol levels can lead to hardening of the arteries, also called atherosclerosis. This occurs when fat, cholesterol, and other substances build up in the walls of arteries and form hard structures called plaques.

Over time, these plaques can block the arteries and cause heart disease, stroke, and other symptoms or problems throughout the body.
- As ghee is essentially concentrated butterfat, it contains a significant amount of cholesterol due to its high saturated fat content.
- While milk contains cholesterol, the amount varies depending on whether it's whole milk (higher cholesterol) or skimmed/low-fat milk (lower cholesterol).
- Yogurt typically has the lowest cholesterol content among the three, especially when choosing low-fat options. The live bacteria in yogurt can even have a beneficial effect on cholesterol levels.
- Even though yogurt may be considered the "best" option regarding cholesterol, consuming large quantities of any high-fat dairy product can still impact cholesterol levels.
- Opting for low-fat or skim varieties of milk and yogurt can significantly reduce the cholesterol content.
रेज़ेल-एफ 10 फोर्ट टैबलेट 10's के बारे में
रेज़ेल-एफ 10 फोर्ट टैबलेट 10's का उपयोग कुल कोलेस्ट्रॉल (TC) और ट्राइग्लिसराइड (TG) के स्तर को कम करने के लिए किया जाता है। यह भविष्य में दिल का दौरा, स्ट्रोक और दिल से संबंधित सीने में दर्द (एनजाइना) जैसी किसी भी हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम को रोकता है। दिल की रुकावट खराब कोलेस्ट्रॉल (लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन -LDL और ट्राइग्लिसराइड्स - TG) के बढ़े हुए स्तर के कारण होती है, जो धमनी की दीवार (कोरोनरी धमनियों) के अस्तर में प्लाक बनाने वाली वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य मोमी पदार्थों की परतों का निर्माण करती है। इससे व्यक्ति में रक्त का थक्का बनने और दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
रेज़ेल-एफ 10 फोर्ट टैबलेट 10's में रोसुवास्टेटिन (स्टेटिन) और फेनोफिब्रेट (फाइब्रिक एसिड डेरिवेटिव) होता है। रोसुवास्टेटिन रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के रूप में जाने वाले लिपिड के स्तर को कम करता है और हमारे शरीर में 'खराब' कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को अवरुद्ध करके 'अच्छे' कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाता है। यह आपके शरीर की आपके रक्त से इसे निकालने की क्षमता में भी सुधार करता है। दूसरी ओर, फेनोफिब्रेट रक्त में ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करके काम करता है।
रेज़ेल-एफ 10 फोर्ट टैबलेट 10's हाइपरट्राइग्लिसराइडिमिया (ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर), हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर), और मिश्रित डिस्लिपिडेमिया (ट्राइग्लिसराइड्स का ऊंचा स्तर - टीजी, कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन - एलडीएल, और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन का निम्न स्तर - एचडीएल) के रोगियों के लिए फायदेमंद है। रोसुवास्टेटिन पहले लीवर की कोशिकाओं में अवशोषण और टूटने के लिए एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ाता है। फिर, यह खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल और वीएलडीएल) की कुल संख्या को कम करने के लिए लीवर द्वारा बनाए गए बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (वीएलडीएल) के संश्लेषण को रोकता है। फेनोफिब्रेट एंजाइम (एक प्राकृतिक पदार्थ) को बढ़ाकर काम करता है जो रक्त में मौजूद वसा या लिपिड को तोड़ता है। इसके अलावा, फेनोफिब्रेट पेशाब के माध्यम से यूरिक एसिड के उत्सर्जन को बढ़ाकर उठे हुए यूरिक एसिड के स्तर को भी कम करता है। यह मधुमेह के रोगियों को लिपिड और कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर के साथ भी निर्धारित किया जाता है ताकि दिल का दौरा, स्ट्रोक और दिल से संबंधित सीने में दर्द (एनजाइना) जैसे हृदय जोखिमों को कम किया जा सके।
दवा संबंधी चेतावनी
स्टेटिन के लंबे समय तक सेवन से मायोपैथी और रबडोमायोलिसिस जैसी गंभीर मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं होने की सूचना है। रेज़ेल-एफ 10 फोर्ट टैबलेट 10's के उपयोग से जुड़ी सबसे आम प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं मांसपेशियों में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी, पेट खराब, मतली, सिरदर्द और अस्टेनिया (सामान्य अस्पष्टीकृत कमजोरी) हैं। बुजुर्ग मरीजों में मांसपेशियों की समस्या होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए इसे सावधानी के साथ और डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दिया जाना चाहिए।
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