Sunday, April 12, 2020

फिट और हेल्दी रहने के उपाय

पानी के बाद प्रोटीन हमारी बॉडी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।

मूंग और मसूर की मिक्स दाल एक ऐसी दाल होती है, जिसे आप 24 घंटे में कभी भी खा सकते हैं क्योंकि यह पचने में आसान होती है। मूंग दाल की तासीर ठंडी और मसूर दाल की तासीर गर्म होती है। जब इन दोनों को मिलाकर तैयार किया जाता है तो महादिल (किसी भी समय खाई जा सकनेवाली) की तरह पौष्टिक हो जाती हैं।

महिलाओं को फिट और हेल्दी रहने के लिए एक दिन में लगभग 2,000 कैलोरी का सेवन करना चाहिए और पुरुषों को 2,500 कैलोरी का सेवन करना चाहिए.


कार्बोहाइड्रेट: 

अनुशंसित आहार भत्ता-

पुरुष: 2320 किलो कैलोरी / दिन

महिला: 1900 किलो कैलोरी / दिन

जो लोग ज़्यादा मेहनत का काम नहीं करते हैं, उन्हें अपने वज़न के प्रति किलोग्राम के हिसाब से हर रोज़ 0.75 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए. एक पुरुष को कम से कम 55 ग्राम और महिला को 45 ग्राम प्रोटीन रोज़ खाना चाहिए.

प्रोटीन:

अनुशंसित आहार भत्ता –

पुरुष: 60 ग्राम / दिन

महिला: 55 ग्राम / दिन

विभिन्न तेलों की कोशिश करने से डरो मत। यह संतुलित आहार के लिए विभिन्न प्रकार के तेलों का अच्छा मिश्रण होने का सुझाव दिया गया है।आप मक्खन, घी, जैतून का तेल, सरसों का तेल, सोयाबीन, तिल या यहां तक ​​कि मूंगफली के तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रिफाइंड तेलों के मुकाबले कोल्ड कंप्रेस तेल यां कच्ची घानी तेल पर अधिक निर्भर रहना चाहीये ।

आहार के स्त्रोत

आहार के प्रमुख घटक मे शामिल है ;

  • कार्बोहाइड्रेट – Carbohydrate
  • वसा यानि चर्बी – Fat
  • प्रोटीन – Protien
  • खनिज  – Minerals
  • विटामिन – Vitamins

 वजन कम करने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास गुड़ और नींबू पानी का सेवन करना फायदेमंद होता है।



  • भोजन में 2 रोटी, एक कटोरी चावल, दाल, सब्जी, सलाद एक दही का सेवन करें।
  • रात का भोजन दिन की तुलना में हल्का होना चाहिए। 2 रोटी, सब्जी, सलाद एवं कटोरी दाल लेनी चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज : 
लहसुन
सेब
नींबू
आंवला
संतरा
अदरक
गर्म पानी में हल्‍दी मिलाकर पीने से
अलसी के बीज
ओट्स
अखरोट

1. बादाम
बादाम में अच्छी मात्रा में स्वास्थ्यवर्धक फैट उपलब्ध होता है. इसमें मौजूद POLYUNSATURATED और MONOUNSATURATED फैट ओवर ईटिंग से बचाता है. दरअसल, बादाम भूख को दबाने का काम करता है. साथ ही ये दिल संबंधी बीमारियों को दूर रखने में भी मददगार है. इसमें हाई फाइबर की मौजूदगी एक लंबे समय तक आपको भूख का एहसास नहीं होने देती है. ऐसे में अगर आप फैट बढ़ाने वाले स्नैक्स खाते हैं तो उसकी जगह रोस्टेड बादाम का इस्तेमाल शुरू करें.
2. तरबूज
पेट की चर्बी कम करने के लिए तरबूज एक बहुत आसान और कारगर उपाय है. इसमें 91 प्रतिशत पानी होता है और जब आप इसे खाने से पहले खाते हैं तो आप पहले से ही भरा हुआ महसूस करते हैं. इसमें विटामिन बी-1, बी-6 और सी पर्यापत मात्रा में उपलब्ध होता है. साथ ही पोटैशियम और मैग्नीशि‍यम भी. एक स्टडी के अनुसार, हर रोज दो गिलास तरबूज का जूस पीने से आठ सप्ताह में पेट के आस-पास की चर्बी घट जाती है.
3. बीन्स
आहार में प्रतिदिन अलग-अलग तरहह की बीन्स का सेवन करने से भी चर्बी घटती है. साथ ही इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और पानक्रिया भी सही रहती है. बीन्स की खासियत ये है कि ये लंबे समय तक आपको हेवी फील करवाती है और ऐसी स्थिति में आप बाहर की दूसरी चीजें खाने से परहेज करते हैं. ये सोलबल फाइबर का सबसे अच्छा माध्यम होते हैं. फाइबर खासतौर पर बेली फैट पर असर डालता है.
4. अजवाइन
अगर आपने वाकई ये फैसला कर लिया है कि आपको हर हाल में अपना या अपने जानने वाले की पेट की चर्बी कम करनी है तो अपनी डाइट में अजवाइन की पत्त‍ियों को शामिल कर लीजिए. अजवाइन की पत्ती के सेवन से पेट की चर्बी कम होती है. बेहद कम कैलोरी, फाइबर युक्त, कैल्शियम और विटामिन सी का प्रमुख माध्यम होने की वजह से ये बेली फैट कम करने में एक असरकारक चीज है. खाने के पहले अजवाइन का पानी पीने से पाचन तंत्र सही रहता है.
5. खीरा
गर्मियों में एक ओर जहां खीरा प्यास बुझाने और ताजगी के लिए खया जाता है वहीं इसके सेवन से बेली फैट को भी कम किया जा सकता है. इसमें 96 प्रतिशत तक पानी ही होता है. इसमें मिनरल्स, फाइबर और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं. हर रोज एक प्लेट खीरा खाने से शरीर के अंदर बनने वाले कई विषाक्त पदार्थ खुद ही साफ हो जाते हैं.
6. टमाटर
टमाटर में 9-oxo-ODA नामक एक यौगिक पाया जाता है. यह खून में लिपिड कम करने का काम करता है, जो कि बेली फैट कम करने में मददगार साबित होता है. साथ ही ये यौगिक मोटापे से जुड़े कई प्रकार के कारकों को दूर करने में भी सहायक होता है.
7. सेब
सेब में उच्च मात्रा में डाइट्री फाइबर होते हैं. इसमें मिलने वाला फाइबर
, फीटोस्ट्रॉल, फ्लेवोनॉयड्स और बीटा-कैरोटीन बैली फैट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साथ ही ये ज्यादा खाने से भी दूर रखता है. इसमें मौजूद पैक्ट‍िन नामक तत्व भी वजन घटाने में अहम है.
8. अनानास
अनानास में ब्रोमीलेन नामक एंजाइम पाया जाता है. ये तत्व पेट को फ्लैट करने में मददगार होता है.


स्वाद के चक्कर में हम ऐसी चीजें खा लेते हैं, जिनमें प्रोटीन कम और कार्बस व फैट ज्यादा होता है। फिर एक ही जगह बैठकर काम करते रहते हैं। इस तरह से भी कमर व पेट के आसपास चर्बी बढ़ने लगती है।

1. दौड़ना
शरीर को चुस्त व दुरुस्त रखने के लिए रनिंग से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। दौड़ लगाने से जहां ह्रदय अच्छे से काम कर पाता है, वहीं अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है और धीरे-धीरे चर्बी भी कम होने लगती है। शुरुआत में कुछ मीटर ही दौड़ें और तेज की जगह धीरे-धीरे दौड़ें। जब शरीर इसका अभ्यस्त हो जाए, तो अपनी गति और समय दोनों में वृद्धि कर सकते हैं।
2. पैदल चलना
रोज सुबह-शाम आधा घंटा पैदल जरूर चले। इससे भी शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी कम होने लगती है। संभव हो, तो तेज कदमों से चलना चाहिए। पेट कम करने के उपाय में इसे आसान और सुरक्षित माना गया है।
3. वेट ट्रेनिंग
अगर जिम जाने का समय नहीं है, तो वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। वहां भार उठाने वाले व्यायाम करने से न सिर्फ शरीर को आकर्षक शेप मिलेगी, बल्कि पाचन क्रिया भी मजबूत होगी। ध्यान रहे कि जिम में वेट ट्रेनिंग सिर्फ पेशेवर ट्रेनर की देखरेख में ही करें।

चावल की जगह ब्राउन राइस खाना चाहिए

ग्रीन-टी : इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है, जो मोटापा व चर्बी घटाने में सहायक सिद्ध होता है। इसलिए, दिनभर में कम से कम एक कप ग्रीन-टी पी सकते हैं।

पानी खूब पीएं :इससे आपका मेटाबालिजम बढ़ता है जिससे आप ज्यादा कैलोरी बर्न कर पाएंगे और पेट कम कर पाएंगे। व्ययायाम के बाद शरीर जो फैट बर्न करता है उसे निकलने के लिए पानी बहुत जरूरी है। सुबह उठते ही : सुबह उठने के बाद करीब दो गिलास गुनगुना पानी पिएं, ताकि पेट साफ हो जाए। शौच से निवृत होने के बाद एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर पिएं। जिन्हें शुगर है, वो नींबू पानी में चीनी न मिलाएं और जिन्हें उच्च रक्तचाप है, वो बिना नमक के पिएं। वैज्ञानिक शोध में साबित हुआ है कि नींबू पानी पीने से वजन कम होता है।

एक ही बार में ज्यादा ना खाएं : यदि आप खूब ज्यादा खाना एक ही बार में खा लेंगे तो आपका पाचन धीमे हो जायेगा और खाने का कुछ हिस्सा खाना पचाने में लग जायेगा। और आपको आलस भी आएगा और आप ठीक से काम भी नही कर पाएंगे।और आपने जो खाया वो पेट की चर्बी के रूप में इकठ्ठा होगा। इसलिए थोड़ा थोड़ा करके कई बार खाएं।

कपालभाति :
इसे करने के लिए भूमि पर आसान बिछाकर बैठ जाये | पहले साँस को नाक से अंदर खींचे फिर झटके से उसे बाहर निकाले | सांस बाहर निकलते समय आपने पेट को भी अंदर करे जैसे की आपके पेट से भी हवा निकला हो | धीरे धीरे यह प्रक्रिया दोहराये और तेज करते जाये | इस पुरे क्रिया के दौरान आप सिर्फ सांस को झटके से बहार निकालने पर ही ध्यान दे ,सांस अपने से अंदर भरने लगेगा |

सर्पासन या भुजंगासन :


इसके लिए भूमि पर आसन बिछाकर पेट के बल लेट जाये और दोनों हाथ के पंजो को अपनी बांह के भुजाओ के पास रखे | अब हाथ के पंजो के सहारे अपने पेट के बल अपने सिर को ऊपर आसमान की तरफ उठाये | शुरुआत में ज्यादा जोर न लगाए | जितने समय तक हो सके आप इस आसान में बने रहे उसके बाद सांस छोड़े और अपने सिर को धीरे धीरे जमीन पर लाये और फिर से ये क्रिया दोहराये |

पेट कम करने की एक्सरसाइज

बोट स्टाइल एक्सरसाइज (Boat Exercise)



पेट की चर्बी कम करने के लिए बोट स्टाइल एक्सरसाइज बहुत कारगार उपाय है। इसे करने के लिए जमीन पर बैठ कर दोनों पैर सीधे करें और फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए सांस खींचें और झुकते हुए पैर के दोनों पंजों को हाथों से छुएं। ऐसे करते हुए आपके कंधे घुटनों से छूनें चाहिए। इस एक्सारसाइज को दिन में तीन बार करने से आपकी तोंद बहुत जल्दी अंदर चली जाएगी।

Wednesday, April 01, 2020

स्वर विज्ञान

विश्वपिता विधाता ने मनुष्य के जन्म के समय में ही देह के साथ एक ऐसा आश्चर्यजनक कौशलपूर्ण अपूर्व उपाय रच दिया है जिसे जान लेने पर सांसारिक, वैषयिक किसी भी कार्य में असफलता का दु:ख नहीं हो सकता। हम इस अपूर्व कौशल को नहीं जानते, इसी कारण हमारा कार्य असफल हो जाता है, आशा भंग हो जाती है, हमें मनस्ताप और रोग भोगना पड़ता है। यह विषय जिस शास्त्र में है, उसे स्वरोदय शास्त्र कहते हैं।
कायानगरमध्ये तु मारुत: क्षितिपालक:
देहरूपी नगर में वायु राजा के समान है। प्राणवायु नि:श्वास और प्रश्वास इन दो नामों से पुकारा जाता है। वायु ग्रहण करने का नाम नि:श्वास और वायु के परित्याग करने का नाम प्रश्वास है। जीव के जन्म से मृत्यु के अंतिम क्षण तक निरंतर श्वास-प्रश्वास की क्रिया होती रहती है और यह नि:श्वास नासिका के दोनों छेदों से एक ही समय एकसाथ समान रूप से नहीं चला करता, कभी बाएं और कभी दाहिने पुट से चलता है। कभी-कभी एकाध घड़ी तक एक ही समय दोनों नाकों से समान भाव से श्वास प्रवाहित होता है।
बाएं नासापुट के श्वास को इडा में चलना, दाहिनी नासिका के श्वास को पिंगला में चलना और दोनों पुटों से एक समान चलने पर उसे सुषुम्ना में चलना कहते हैं। जिस नासिका से सरलतापूर्वक श्वास बाहर निकलता हो, उस समय उसी नासिका का श्वास कहना चाहिए।
प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय के समय से ढाई-ढाई घड़ी के हिसाब से एक-एक नासिका से श्वास चलता है। इस प्रकार रात-दिन में 12 बार बाईं और 12 बार दाहिनी नासिका से क्रमानुसार श्वास चलता है। किस दिन किस नासिका से पहले श्वासक्रिया होती है, इसका एक निर्दिष्ट नियम है, यथा-
आदौ चन्द्र: सिते पक्षे भास्करस्तु सितेतरे।
प्रतिपत्तो दिनान्याहुस्त्रीणि त्रीणि क्रमोदये।।
(पवनविजवस्वरोदय)
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 3-3 दिन की बारी से चन्द्र अर्थात बाईं नासिका से तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 3-3 दिन भी बारी से सूर्य नाड़ी अर्थात दाहिनी नासिका से पहले श्वास प्रवाहित होता है। अर्थात शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा- इन 9 दिनों में प्रात:काल सूर्योदय के पहले बाईं नासिका से तथा चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी, द्वादशी- इन 6 दिनों को प्रात:काल पहले दाहिनी नासिका से श्वास चलना प्रारंभ होता है और वह ढाई घड़ी तक रहता है। उसके बाद दूसरी नासिका से श्वास जारी होता है।
वहेत्तावद् घटीमध्ये पश्चतत्त्वानि निर्दिशेत्।
(स्वरशास्त्र)
प्रतिदिन रा‍त-दिन की 60 घड़ियों में ढाई-ढाई घड़ी के हिसाब से एक-एक नासिका से निर्दिष्ट क्रम से श्वास चलने के समय क्रमश: पंचतत्वों का उदय होता है। इस श्वास-प्रश्वास की गति को समझकर कार्य करने पर शरीर स्वस्थ रहता है और मनुष्य दीर्घजीवी होता है, फलस्वरूप सांसारिक, वैषयिक सब कार्यों में सफलता मिलने के कारण सुखपूर्वक संसार यात्रा पूरी होती है।

वाम नासिका का श्वासफल :
जिस समय इडा नाड़ी से अर्थात बाईं नासिका से श्वास चलता हो, उस समय स्थिर कर्मों को करना चाहिए, जैसे अलंकार धारण, दूर की यात्रा, आश्रम में प्रवेश, राज मंदिर तथा महल बनाना तथा द्रव्यादि को ग्रहण करना। तालाब, कुआं आदि जलाशय तथा देवस्तंभ आदि की प्रतिष्ठा करना। इसी समय यात्रा, दान, विवाह, नया कपड़ा पहनना, शांतिकर्म, पौष्टिक कर्म, दिव्यौषध सेवन, रसायन कार्य, प्रभु दर्शन, मि‍त्रता स्थापन एवं बाहर जाना आदि शुभ कार्य करने चाहिए। बाईं नाक से श्वास चलने के समय शुभ कार्य करने पर उन सब कार्यों में सिद्धि मिलती है, परंतु वायु, अग्नि और आकाश तत्व उदय के समय उक्त कार्य नहीं करने चाहिए।

दक्षिण नासिका का श्वासफल :
जिस समय पिंगला नाड़ी अर्थात दाहिनी नाक से श्वास चलता हो, उस समय कठिन कर्म करने चाहिए, जैसे कठिन क्रूर विद्या का अध्ययन और अध्यापन, स्त्री संसर्ग, नौकादि आरोहण, तान्त्रिकमतानुसार वीरमंत्रादिसम्मत उपासना, वैरी को दंड, शास्त्राभ्यास, गमन, पशु विक्रय, ईंट, पत्‍थर, काठ तथा रत्नादि का घिसना और छीलना, संगीत अभ्यास, यंत्र-तंत्र बनाना, किले और पहाड़ पर चढ़ना, हाथी, घोड़ा तथा रथ आदि की सवारी सीखना, व्यायाम, षट्कर्मसाधन, यक्षिणी, बेताल तथा भूतादिसाधन, औषधसेवन, लिपिलेखन, दान, क्रय-विक्रय, युद्ध, भोग, राजदर्शन, स्नानाहार आदि।
सुषुम्ना का श्वासफल :
दोनों नाकों से श्वास चलने के समय किसी प्रकार का शुभ या अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए। उस समय कोई भी काम करने से वह निष्फल ही होगा। उस समय योगाभ्यास और ध्यान-धारणादि के द्वारा केवल भगवान को स्मरण करना उचित है। सुषुम्ना नाड़ी से श्वास चलने के समय किसी को भी शाप या वर प्रदान करने पर वह सफल होता है।
बुद्धिमान पाठक इस संक्षिप्त अंश को पढ़कर यदि ठीक-ठीक कार्य करेंगे तो निश्चय ही सफल मनोरथ होंगे।
- कल्याण के दसवें वर्ष का विशेषांक योगांक से साभार
(लेखक- परिव्राजकाचार्य परमहंस श्रीमत्स्वामी निगमानन्दजी सरस्वती)
 
सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को अगर वाम स्‍वर यानी बाई नासिका से स्‍वर चल रहा हो तो यह श्रेष्‍ठ होता है। इसी प्रकार अगर मंगलवार, शनिवार और रविवार को दक्षिण स्‍वर यानी दाईं नासिका से स्‍वर चल रहा हो तो इसे श्रेष्‍ठ बताया गया है। 
अगर स्‍वर इसके प्रतिकूल हो तो
·         रविवार को शरीर में वेदना महसूस होगी
·         सोमवार को कलह का वातावरण मिलेगा
·         मंगलवार को मृत्‍यु और दूर देशों की यात्रा होगी
·         बुधवार को राज्‍य से आपत्ति होगी
·         गुरु और शुक्रवार को प्रत्‍येक कार्य की असिद्धी होगी
·         शनिवार को बल और खेती का नाश होगा
स्‍वर को तत्‍वों के आधार पर बांटा भी गया है। हर स्‍वर का एक तत्‍व होता है।
यह इडा या पिंगला (बाई अथवा दाई नासिका) से निकलने वाले वायु के प्रभाव से नापा जाता है।
·         श्‍वास का दैर्ध्‍य 16 अंगुल हो तो पृथ्‍वी तत्‍व
·         श्‍वास का दैर्ध्‍य 12 अंगुल हो तो जल तत्‍व
·         श्‍वास का दैर्ध्‍य 8 अंगुल हो तो अग्नि तत्‍व
·         श्‍वास का दैर्ध्‍य 6 अंगुल हो तो वायु तत्‍व
·         श्‍वास का दैर्ध्‍य 3 अंगुल हो तो आकाश तत्‍व होता है।
यह तत्‍व हमेशा एक जैसा नहीं रहता। तत्‍व के बदलने के साथ फलादेश भी बदल जाते हैं।
आगे हम देखेंगे तत्‍व के अनुसार क्‍या क्‍या फल सामने आते हैं।
शुक्‍ल पक्ष में नाडि़यों में तत्‍व का संचार देखें तो आमतौर पर वाम स्‍वर शुभ होते हैं और दक्षिण स्‍वर अशुभ।
·         पृथ्‍वी तत्‍व चले तो महल में प्रवेश
·         अग्नि तत्‍व चले तो जल से भय, घाव, घर का दाह
·         वायु तत्‍व चले तो चोर भय, पलायन, हाथी घोड़े की सवारी मिलती है।
·         आकाश तत्‍व चले तो मंत्र, तंत्र, यंत्र का उपदेश देव प्रतिष्‍ठा, व्‍याधि की उत्‍पत्ति, शरीर में निरंतर पीड़ा
अगर किसी भी समय में दोनों नाडि़यां एक साथ चलें तो योग में इसे उत्‍तम माना जाता है, लेकिन फल प्राप्ति के मामले में  देखें तो फलों का समान फल कहा गया है। इसे बहुत उत्‍तम नहीं माना जाता है।